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Lok Sabha Elections 2024: इस संसदीय क्षेत्र में भाई vs भाई की लड़ाई, पीएम-सीएम झोंक चुके हैं पूरी ताकत

विजयवाड़ा में पीएम नरेन्द्र मोदी का रोड शो हो चुका है। वाइएसआरसीपी की ओर से मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने पूरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस को इस बार राज्य और केन्द्र के खिलाफ सत्ता विरोधी रुख का फायदा मिलने की आस है। यहां तीनों प्रमुख दलों के नेता गली-गली प्रचार में जुटे हैं। आंध्र प्रदेश में इन दिनों लोग गर्मी से परेशान हैं, लेकिन इस समय यहां सियासी माहौल भी कम गर्म नहीं है। पढ़िए जग्गोसिंह धाकड़ की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीMay 09, 2024 / 04:51 pm

Paritosh Shahi

Kesineni Srinivas Kesineni Shivanath

Kesineni Srinivas Kesineni Shivanath

आंध्र प्रदेश की विजयवाड़ा लोकसभा सीट पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजर है। यहां वाइएसआरसीपी और टीडीपी से दो भाइयों के आमने-सामने होने से मुकाबला रोचक हो गया है। वहीं प्रदेश की राजनीति में भाई-बहन की सियासी रणनीतिक कौशल का परीक्षण भी इस चुनाव में होने जा रहा है। विजयवाड़ा में पीएम नरेन्द्र मोदी का रोड शो हो चुका है। वाइएसआरसीपी की ओर से मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने पूरी ताकत झोंक रखी है।

कांग्रेस को इस बार राज्य और केन्द्र के खिलाफ सत्ता विरोधी रुख का फायदा मिलने की आस है। यहां तीनों प्रमुख दलों के नेता गली-गली प्रचार में जुटे हैं। आंध्र प्रदेश में इन दिनों लोग गर्मी से परेशान हैं, लेकिन इस समय यहां सियासी माहौल भी कम गर्म नहीं है। हो भी क्यों नहीं, यहां लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। इसके साथ ही दिलचस्प बात यह भी है कि यहां दो भाई आमने-सामने ताल ठोक रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर बहन-भाई एक दूसरे की पार्टी के खिलाफ राजनीतिक तस्वीर बदलने के लिए रणनीतिक चालें चल रहे हैं।
यहां वाइएसआरसीपी, कांग्रेस और एनडीए के घटक दल तेलुगू देशम पार्टी सहित 17 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा भले ही देश में अकेले 370 पार का दावा ठोक रही हो, लेकिन आंध्रप्रदेश में जीत दर्ज करने के लिए चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी से गठजोड़ करना पड़ा है। सीट शेयरिंग समझौते के अनुसार भाजपा 6, तेलुगू देशम पार्टी 17 और जनसेना पार्टी 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

आंध्रप्रदेश में राष्ट्रीय दलों के सामने बड़ी चुनौती

यहां क्षेत्रीय दलों का प्रभाव होने के कारण 25 लोकसभा सीटों वाले आंध्रप्रदेश में राष्ट्रीय दलों के सामने बड़ी चुनौती है। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। यहां युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (वाइएसआरसीपी) को 22 और 3 सीटें तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के खाते में आई थी। आंध्र प्रदेश का सियासी मिजाज जानने के लिए मैं सबसे पहले विजयवाड़ा संसदीय क्षेत्र में पहुंचा। यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इससे करीब 30 किलोमीटर दूरी पर ही नई राजधानी अमरावती का निर्माण हो रहा है।

मैं जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर निकला तो तेज गर्मी का अहसास हुआ। शहर की ओर आगे बढ़ा तो ‘पंखा’ और ‘साइकिल’ के पोस्टर चस्पा नजर आ रहे हैं। पंखा वाइएसआरसीपी का चुनाव चिह्न है और साइकिल टीडीपी का चुनाव चिह्ना है। कांग्रेस के पोस्टर भी कई जगह दिखाई दे रहे हैं। मोदी की यात्रा के पोस्टर भी लगे हुए हैं। कुछ देर में मैं एलुरु रोड पर राजकीय कॉलेज के पास पहुंचता हूं, टैक्सी से उतरते ही मेरी मुलाकात मोहनराव से होती है। चुनावी चर्चा छेडऩे पर वे बोले, यहां कहने के लिए टीडीपी, वाइएसआरसीपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है, लेकिन लोगों की दिलचस्पी इसमें है कि यहां दो भाइयों के बीच हो रहे मुकाबले में किसको जनता संसद पहुंचाएगी।

वाइएसआरसीपी ने केसिनेनी श्रीनिवास (नानी) को मैदान में उतारा है, जो दो बार विजयवाड़ा से ही टीडीपी से सांसद चुने गए। इस बार चुनाव से पहले वे वाईएसआरसीपी में शामिल हुए हैं। दूसरी ओर टीडीपी ने केसिनेनी नानी के छोटे भाई केसिनेनी शिवनाथ (चिन्नी) को टिकट दिया।
कॉलेज के पास ही पच्चीस वर्ष से विजयवाड़ा में रह रहे भेराराम गोदारा से मुलाकात हुई। सियासी चर्चा शुरू हुई तो बोले, टीडीपी के प्रत्याशी केसिनेनी शिवनाथ (चिन्नी) को एनडीए में शामिल होने पर मोदी के नेतृत्व का लाभ मिलने की उम्मीद है। वैसे टक्कर कांटे की है, पर इस बार यहां राममंदिर के मुद्दे का भी असर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो से भी फर्क पड़ेगा। ऐसे में टीडीपी भारी लग रही है। कांग्रेस को इस बार भी सफलता मिलना टेढ़ी खीर है।

मुख्य मुकाबला पंखा और साइकिल के बीच ही होगा। एलरु रोड पर स्टॉल संचालक कमरताज ने कहा कि चुनाव में किसी न किसी के बीच मुकाबला होता ही है। लेकिन इतना अच्छा माहौल भी नहीं है कि हम किसी के पक्ष में खुलकर बोल सकें। माचवरण में सीढिय़ों पर बैठे नागेश राव ने कहा, इस बार टीडीपी का ही माहौल है। मूल रूप से राजस्थानी और 20 साल से विजयवाड़ा में रह रहे मांगीलाल ने कहा, पूरे विजयवाड़ा में कहीं भी पता कर लीजिए, इस बार लोग राममंदिर बनने से पीएम मोदी को पसंद कर रहे हैं। यहां लोग बदलाव के मूड में नजर आ रहे हैं।

ढोल-नागाड़ों के साथ मतदाताओं के घर दस्तक

विजयवाड़ा में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और प्रत्याशी ढोल नगाड़ों के साथ घर-घर दस्तक दे रहे हैं। विजयवाड़ा आंध्रप्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। विजयवाड़ा को प्रदेश की राजनीतिक राजधानी माना जाता है। इसके साथ ही यहां एनटीआर जिले का मुख्यालय भी है। विजयवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं, जिसमें तिरुवरू, विजयवाड़ा पश्चिम, विजयवाड़ा मध्य, विजयवाड़ा पूर्व, मायलावरम, नंदीगाम और जग्गय्यापेटा शामिल है। विजयवाड़ा दुनिया के तेजी से बढ़ते शहरों में से एक है।

मुकाबला बराबरी का है

विजयवाड़ा जंक्शन के बाहर मिले करीम उल्ला ने कहा, इस बार मुकाबला बराबरी का लग रहा है। केसिनेनी नानी ने सांसद रहते हुए शहर में फ्लाईओवर समेत केंद्र सरकार की कई परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनसे जनता में नाराजगी नहीं है। इसका लाभ चुनाव में मिल सकता है। वे टीडीपी की आंतरिक राजनीति से परेशान होकर वाईएसआरसीपी में शामिल हो गए, लेकिन उनका अपना वोट बैंक है।

भाई-बहन की प्रतिष्ठा दांव पर

कांग्रेस ने यहां से वल्लरु भार्गव को मैदान में उतारा है। कांग्रेस को इस बार उम्मीद है के लगातार कई चुनाव जीतने के बाद खोई इस सीट को दुबारा पाने में सफलता मिलेगी। इस समय आंध्रप्रदेश कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाइएस राजशेखर रेड्डी की बेटी वाइएस शर्मिला हैं। वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाइएस जगन मोहन रेड्डी की बहन हैं। इस समय उनके निशाने पर टीडीपी के साथ अपने भाई की पार्टी वाइएसआरसीपी भी है। ऐसे में इस बार के चुनाव में भाई-बहिन की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। विजयवाड़ा शहर के अजितसिंहनगर निवासी सत्यनारायण गरु का मानना है कि इस बार जगनमोहन रेड्डी सरकार से लोगों में नाराजगी है। इसका बड़ा कारण अमरावती में राजधानी निर्माण के कार्य ने गति नहीं पकड़ी है। तेलुगू देशम पार्टी इस नाराजगी को भुनाने के प्रयास में लगी हुई है।

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